वेब ब्राउज़र्स का इतिहास

दुनिया का इतिहास महान शक्ति संघर्षों, विश्व-विजय की चाह रखने वाले अत्याचारियों और पराधीनता के बीच उभरे अदम्य साहसी वीरों से भरा पड़ा है। वेब ब्राउज़र्स का इतिहास भी इससे बहुत अलग नहीं है। यूनिवर्सिटी के अग्रदूतों ने साधारण सॉफ़्टवेयर लिखे जिन्होंने सूचना क्रांति की चिंगारी छेड़ दी, और और छेड़ दिया युद्ध, ब्राउज़र श्रेष्ठता और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए।

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वेब युग से पहले

1950 में कंप्यूटर्स पूरे एक कमरे की जगह लेते थे और आज के पॉकेट कैल्कुलेटर से भी कम बुद्धि के हुआ करते थे। लेकिन इसकी प्रगति बहुत तेज़ हुई, और 1960 तक वे जटिल कार्यक्रम चलाने में सक्षम हो गए थे। दुनिया भर में सरकारों और विश्वविद्यालयों ने सोचा कि अगर मशीनें बोल सकें, सहयोग कर सकें और वैज्ञानिक उपलब्धियॉं हॉंसिल कर सकें तो यह बढ़िया रहेगा।

ARPANET पहली सफल नेटवर्किंग परियोजना थी और 1969 में पहला संदेश यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ॉर्निया, लॉस एंजेलेस (UCLA) की कम्प्यूटर साइंस लैब से कैलिफ़ॉर्निया में ही मौजूद स्टैन्फ़ोर्ड रिसर्च इंस्टिट्यूट (SRI) को भेजा गया था।

इससे कम्प्यूटर नेटवर्किंग के क्षेत्र में क्रॉंति की चिंगारी फूट गई। दुनिया भर में नए नेटवर्क बने, यूनिवर्सिटीज़ आपस में जुड़ पाईं और रिसर्च सेंटर्स बने। लेकिन अगले 20 सालों तक, इंटरनेट आम जनता को मुहैया नहीं हो सका। यह यूनिवर्सिटीज़ और सरकारी शोधों, छात्रों और निजी कॉरपोरेशंस तक ही सीमित था। ऐसे दर्जनों प्रोग्राम्स थे जो कि टैलीफ़ोन लाइनों के ज़रिए जानकारी का व्यापार करते थे लेकिन इनमें से किसी का भी उपयोग आसान नहीं था। वास्तविक तौर पर खुला इंटरनेट, और पहला वेब ब्राउज़र 1990 तक नहीं बनाया जा सका था।

वेब युग

ब्रिटिश कंप्यूटर साइंटिस्ट Tim Berners-Lee ने 1990 में CERN, स्विट्ज़रलैंड में परमाणु अनुसंधान के लिए यूरोपीय संगठन, में काम करते हुए पहला वेब सर्वर और ग्राफ़िकल वेब ब्राउज़र बनाया। उन्होंने अपने इंटरनेट में अपनी इस नई विंडो को “WorldWideWeb” नाम दिया। NeXT कंप्यूटर के लिए बनाया गया यह एक आसनी से उपयोग किया जा सकने वाला ग्राफ़िकल इंटरफ़ेस था। पहली बार, किसी सार्वजनिक नैटवर्क में टैक्स्ट डॉक्यूमेंट्स को आपस में जोड़ा गया — जिसे कि हम वेब के तौर पर जानते हैं।

एक साल बाद, Berners-Lee ने CERN के एक गणित के छात्र Nicola Pellow को लाइन मोड ब्राउज़र लिखने को कहा, एक ऐसा प्रोग्राम जो कि बुनियादी कम्प्यूटर टर्मिनल्स के लिए था।

1993 तक, वेब जगत में धमाका हो गया। विश्वविद्यालयों, सरकारों और निजी कॉरपोरेशंस सभी ने खुले इंटरनेट में अवसरों को देखा। इसे एक्सेस करने के लिए सभी को नए कंप्यूटर प्रोग्राम की आवश्यकता थी। इसी साल, यूनिवर्सिटी ऑफ़ इल्लिनोई अरबना के सुपरकंप्यूटिंग एप्लिकेशन (NCSA) के लिए राष्ट्रीय केंद्र में मोज़ेक बनाया गया जो कि कंप्यूटर साइंटिस्ट Marc Andreessen का अभियान था। यह सबसे पहला लोकप्रिय वेब ब्राउज़र था और Mozilla Firefox का शुरूआती पूर्वज था।

Windows कंप्यूटरों पर चला एनसीएसए मोज़ेक उपयोग करने में आसान था और जिसके पास भी PC था इसने उसे शुरूआती वेब पेजों, चैट रूम्स और तस्वीरों की लाइब्रेरीज़ तक पहुॅंच उपलब्ध कराई। अगले साल, (1994) Andreessen ने Netscape की नींव रखी और Netscape Navigator जनता के लिए रिलीज़ किया। यह व्यापक तौर पर सफल रहा और जनता का पहला ब्राउज़र बना। यह इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के लिए एक नए तरह के युद्ध में पहला कदम था।

ब्राउज़र्स का युद्ध

1995 तक, Netscape ऑनलाइन जाने के लिए एकमात्र रास्ता नहीं रह गया था। कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर दिग्गज Microsoft ने पुराने मोज़ेक कोड को लाइसेंस दिया और वेब के लिए अपनी विंडो Internet Explorer तैयार की। इसके रिलीज़ ने एक युद्ध की चिंगारी छेड़ दी। Netscape और Microsoft ने अपने प्रोग्राम्स के नए संस्करण बनाने के लिए तेज़ी के साथ काम किया, दोनों ही ने अपने अपने बेहतरीन उत्पादों के ज़रिए आगे बढ़ाने का प्रयास किया।

Netscape ने JavaScript बनाकर रिलीज़ की, जिसने वेबसाइट्स को शक्तिशाली कंप्यूटिंग क्षमताएँ दी जो कि उससे पहले कभी भी मौजूद नहीं थीं। (उन्होंने कुख्यात <blink> tag भी बनाया।) Microsoft ने इसका जवाब कैस्केडिंग स्टाइल शीट्स (CSS) बनाकर दिया, जो कि वेब पेज़ डिज़ाइनिंग में एक मानक बन गया।

1997 में, चीज़ें कुछ हद तक हाथों से बाहर चली गई जब Microsoft ने Internet Explorer 4.0 रिलीज़ किया। टीम ने एक विशाल अक्षर “ई” बनाया और इसे Netscape हैड्क्वाटर्स के लॉन में गाड़ दिया। Netscape टीम ने तुरंत इस विशाल “ई” को हटा दिया और अपने Mozilla डायनासोर को इसके ऊपर रख दिया।

फिर Microsoft ने अपने Windows ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ Internet Explorer को शिप करना शुरू किया। 4 सालों के भीतर, 75% बाज़ार इसका था और 1999 तक यह 99% हो गया था। कंपनी को इस कदम के खिलाफ एंटीट्रस्ट लिटिगेशन का सामना करना पड़ा और Netscape ने अपने कोडबेस को ओपन सोर्स करने और गैर-लाभकारी Mozilla को बनाने का का निर्णय लिया, और 2002 में Firefox बना और रिलीज़ किया गया। यह महसूस करते हुए कि किसी एक ब्राउज़र का एकाधिकार उपयोगकर्ताओं और ओपन वेब के हित में नहीं था, Firefox को बनाया गया ताकि वेब उपयोगकर्ताओं को विकल्प मिल सके। 2010 तक Mozilla Firefox और अन्य ने मिलकर Internet Explorer के मार्केट शेयर को 50% तक गिरा दिया

90 के दशक के आखिर और नई सदी के शुरूआती वर्षों तक, Opera, Safari और Google Chrome समेत दूसरे प्रतिस्पर्धियों का उदय हुआ। Microsoft Edge ने 2015 में Windows 10 की रिलीज़ के साथ Internet Explorer को रिप्लेस किया।

आज के दौर में वेब ब्राउज़िंग

आज के समय में इंटरनेट को एक्सेस करने के बस कुछ मुट्ठीभर तरीके ही मौजूद हैं। Firefox, Google Chrome, Microsoft Edge, Safari और Opera मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। बीते दशक में इंटरनेट के उपयोग के सबसे अधिक अपनाए जा रहे तरीके के तौर पर मोबाइल डिवाइसों का उभार हुआ है। आज के दौर में, अधिकतर इंटरनेट उपयोगकर्ता ऑनलाइन जाने के लिए केवल मोबाइल ब्राउज़र्स और एप्लिकेशंस का इस्तेमाल करते हैं। iOS और Android डिवाइसों के लिए मुख्य ब्राउज़र्स के मोबाइल संस्करण उपलब्ध हैं। हालांकि ये ऐप्स विशिष्ट प्रयोजन के लिए बेहद उपयोगी हैं, लेकिन ये वेब तक सीमित पहुॅंच उपलब्ध कराती हैं।

वेब के आरंभिक समय में परंपरागत टेक्स्ट साधनों का प्रयोग करने वाली हाइपरटेक्स्ट विधि रही है, मगर अब संभावना है कि भविष्य में वेब इसी मार्ग पर चलते रहने के बजाय इंटरैक्टिव अनुभवों के विशाल समुद्र में तब्दील हो जाएगा। वर्चुअल रियलिटी दशकों तक निकट भविष्य की बात लगती रही है (कम से कम 1992 में Lawnmower Man और 1995 में Nintendo Virtual Boy के रिलीज़ से), लेकिन अब अंतत: यह संभावना है कि वेब इसे आम लोगों तक ले आएगा। Firefox के पास अब WebVR और A-Frame के लिए सपोर्ट मौजूद है, जो कि डेवलपर्स को तेजी से और आसानी से वर्चुअल रियलिटी वेबसाइट बनाने की सुविधा देता है। अधिकतर आधुनिक मोबाइल डिवाइसें WebVR को सपोर्ट करती हैं, और ये सिंपल कार्डबोर्ड केस के साथ हेडसेट्स के रूप में आसानी से उपयोग की जा सकती हैं। एक 3D वर्चुअल रियलिटी वेब, जिस तरह की एक कल्पना साइंस फ़िक्शन लेखक Neal Stephenson ने की थी, अब हकीकत बनने की ओर है। यदि ऐसा होता है, तो संभव है आज का वेब ब्राउज़र पूरी तरह से गायब हो जाए और इससे एक नई दुनिया के लिए खिड़की खुल जाए।

वेब के भविष्य में कुछ भी हो, Mozilla और Firefox उपयोगकर्ताओं के लिए वहॉं मौजूद मिलेंगे, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि उनके पास वेब का अनुभव करने के लिए मज़बूत टूल्स उपलब्ध हों। वेब हर किसी के लिए है, और हर किसी के पास अपने ऑनलाइन अनुभव का नियंत्रण होना चाहिए। इसलिए हम Firefox टूल्स देते हैं ताकि उपयोगकर्ता की निजता की सुरक्षा की जा सके और हम कभी भी उपयोगकर्ता डेटा को विज्ञापनदाताओं को नहीं बेचते हैं।

संसाधन

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